जब हुआ था कश्मीरी हिदुओं का जबरन पलायन, तब शायद नहीं था संविधान या लोकतंत्र को खतरा?

#BoycottJAASHNESHAHEEN
#ISTANDUNITEDWITHKASMIRIPANDITS
#AGAINSTJASHNESHAHEEN
#STANDUNITED
आज ट्वीटर पर एक पोस्ट देखा, मैं स्तब्ध रह गया देख कर, इतनी संवेदनहीनता, इतना द्वेष। ये किस तरह का सेकुलरिस्म है, जहां भारत में ही शरणार्थी के तौर पर रहने को मजबूर कश्मीरी पंडित हिन्दू जो पिछले तीस साल पहले अपने ऊपर हुए बर्बरता के लिए न्याय मांग रहा है, और उनकी सुनने वाला कोई नहीं। कोई उनके लिए प्रोटेस्ट नहीं करता। इनको इस कदर भुला दिया गया है, जैसे कोई रात के बुरे सपने को सुबह होते भुला देता है। ये कैसा सेलेक्टिव और तुष्टीकरण वाला सेकुलरिस्म है, जो हमेशा एक वर्ग के लिए लागू होता है।

kashmir

देश में बहुसंख्यक के तौर पर मगर घाटी में अल्पसंख्यक होने के बावजूद, इतनी अकल्पनीय बर्बरता से गुजरने के बावजूद और अपनी आँखों के सामने अपनों को खोने के बावजूद इन कश्मीरी हिंदुओं ने कभी बंदूक नही उठाया, किसी की हत्या नहीं की। देश के खिलाफ नारे नहीं लगाए, बसे नहीं जलाईं, पत्थरबाज़ी नही की और न ही कभी अपनी बात मनवाने के लिए महिलाओं और बच्चों का सहारा लिया, बस न्याय मांगते रहे चुपचाप। और शर्म की बात तो यह है की इनकी इंसाफ की लड़ाई में अपनों ने ही साथ नहीं दिया।

ख़ैर जिस ट्वीट की बात कर रहा हूँ मैं वो एक आमंत्रण है “जश्न-ए शाहीन” जिसे 19जनवरी 2020 को रखा गया है शाहीन बाग में। और आमंत्रण दे रही है एक मानसिक तौर पर विक्षिप्त, तथाकथित बुद्धिजीवी, ज़हरीली सोंच रखने वाली Swara Bhasker। जिसे ये तक नहीं पता, या फिर कहें बखूबी पता है 19 जनवरी कौन सा दिन है। और जिस कारण वो 19 जनवरी को ही ये जश्न माना रही है। तमाम जगहों को तथाकथित प्रदर्शन के जरिये बंद कर पुराना कश्मीर बनाने की जो ज़िम्मेदारी तुम्हारे जैसों के कंधों पर दी गई है न, अब पूरा नहीं होगा ये। हाँ एक और बात बता दूँ, अब खामोशी नहीं जवाब मिलेगा….याद रखना।

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19th जनवरी 1990 मानवता के इतिहास का वह काला दिन जिसे भारत और जो वाकई भारतीय कहलाने लायक हैं कभी भूल नहीं सकते। वह भयानक दहशतगर्द रात हजारों कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया जाता है जबरन उन्हें अपनी जमीन छोड़कर जाने को मजबूर किया जाता है घर के बाहर पर्चा चिपका दिया जाता है इसमें लिखा होता है यह कश्मीर और अपनी महिलाओं को यही छोड़ कर चले जाओ अगर अपनी जान की सलामती चाहते हो तो। नारा लगता था –

“कश्मीर बनेगा पाकिस्तान पंडित आदमियों के बगैर मगर पंडित महिलाओं के साथ”।

महिलाओं को स्टोर रूम में छुपा दिया गया था यह कहने की जरूरत नहीं थी की भीड़ हमला करें तो स्वयं को वह आग लगा ले। 60,000 से भी ज्यादा कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया, उनकी महिलाओं, बच्चियों के साथ बलात्कार किया गया, उनका घर जला दिया गया और रातों-रात अपने ही मुल्क में शरणार्थी बना दिया गया उन्हें। और आज 30 साल बीत गए हैं, आज भी वह शरणार्थी ही हैं। इतनी सहनशीलता कोई नहीं दिखा सकता और दूसरों से तो हम अच्छी तरह वाकिफ हैं।

इन्हीं कश्मीरी हिन्दुओं में एक शिक्षिका थीं ‘गिरजा टिक्कू’ जिनकी बर्बरता की दास्तान ऐसी भयानक थी की रूह काँप जाए। किसी तरह वो कश्मीर से उन दिनों बच कर निकालने में सफल हो जाती हैं ,लेकिन एक दिन उन्हें स्कूल से फोन आता है की वो अपनी बची हुई सैलरी आ कर ले जाएँ। वह स्कूल में अपनी सैलरी लेने गयी। सैलरी लेने के बाद उसी गाँव में अपनी एक मुस्लिम सहकर्मी के घर मिलने चली गयी. आतंकी उस पर नज़र रखे हुए थे। गिरिजा को उसी घर से अपहृत कर लिया गया।

सौजन्य- JK NOW
आतंकियों ने गिरजा के अपरहण के बाद उसे से कई बार सामूहिक बलात्कार किया। उसे तरह-तरह की यातनाएँ दी। इतने से आतंकियों का मन नहीं भरा तो उन्होंने गिरिजा को बिजली से चलने वाले आरे पर रख कर जिंदा बीच से काट दिया। आतंकियों का सन्देश साफ़ था की जम्मू कश्मीर में केवल “ निज़ाम –ऐ- मुस्तफा “ को मानने वाले लोग ही रह सकते है। और इस किस्म की बर्बरता उस वक़्त न जाने कितनों पर गुज़री।

यह बर्बरता सिर्फ 1990 मे ही नहीं हुई आगे भी जारी रही। मार्च 1997 आतंकियों ने संग्रामपोरा में घर से खींच कर 7 पंडितों को मारा। जनवरी 1998 आतंकियों ने वंधामा में 23 कश्मीरी पंडित जिसमे बच्चे और महिलाएं थी उनकी निर्मम हत्या की। और मार्च 2003 आतंकियों ने नदिमार्ग में 24 पंडितों जिसमें महिलाएं और नवजात शिशु थे उनकी गोली मार कर निर्मम हत्या कर दीं। अकल्पनीय और अमानवीयता की पराकाष्ठा। महसूस करिए उनकी बेबसी को, उनके डर को, उनके प्रति हमारी संवेदनहीनता को।
इतना बड़ा अधर्म….उफ़्फ़!

सोंचने की बात है 5 लाख कश्मीरी पंडितों को उनके ही ज़मीन से भागने पर मजबूर कर दिया जाता है। आतंकियों द्वारा उन्हें विकल्प दिया जाता है की या तो वे इस्लाम कबूल करें, या फिर भाग जाएँ या फिर मारे जाएँ।

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तो ये बताएं,
– की अपने आज़ाद देश में वहाँ के नागरिकों के सामने जब ऐसे विकल्प रखे जाते हैं तब संविधान को चोट पहुँचती है, या फिर तब जब वो सताए गए लोगों को नागरिकता देती है ?

– आज के स्थिति पर लोग कह रहे हैं संविधान, लोकतन्त्र खतरे में है, वो भी सिर्फ इसलिए की पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर सताए गए अल्पसंख्यकों को देश नागरिकता दे रही है, लेकिन 30 साल पहले जो कश्मीरी पंडितों के साथ हुआ था तब लोकतन्त्र खरते मे नहीं आया था, तब किसी ने ये नहीं कहा की संविधान खतरे में है। क्यूँ ?

अगर अब भी किसी को मेरी लिखी बातें समझ नहीं आईं तो उनसे मेरी सहानुभूति है। क्योंकि आगे भी उन्हें कभी समझ में नहीं आनी। और जिनको बुरा लगा है, दर्द हुआ है वो एस्प्रिन लें।
क्योंकि ये जो आवाज है न, उन हिन्दुओं की है जिन पर शुरू से ही अत्याचार होता रहा, उनके साथ बर्बरता होता रहा। फ़िर भी सब कुछ भुला कर इन्होंने सब को हर बार अपनाया, मग़र इन्हें अपनाने के लिए दूसरे कभी तैय्यार नहीं हुए।
इनके न्याय, इनके हक़ के लिए कभी कोई खरा नहीं हुआ, कोई सिलेब्रिटी नहीं पहुंची इनके पास, कोई मानवाधिकार वाला नहीं आया इनके पास, किसी ने इनके लिए प्रदर्शन नहीं किया, भटकने के लिए छोड़ दिया बस। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, अब बस जवाब मिलेगा।

जय हिन्द….भारत माता की जय…… वंदे मातरम

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काश! कोई तो होता…

काश! कोई तो होता, जो सुनता मेरी भी बातें,

रात सी मेरी तन्हाई में ढूँढ़ लेता, वो मेरी हर इक चाहतें।

थामता… तब भी वो मेरा हाथ साथ जब कोई मेरा ना अपना होता,

ठीक वैसे ही…. जैसे हर हकीकत की सच्चाई है पहले सपना होता।

काश! कोई तो होता जो सुनता मेरी भी बातें।।

जब होता मन उदास दुनियादारी की भीड़ में, उसे वो सुकून का बचपन देता।

कह देता रोकर, लिपटकर मैं सब कुछ उससे, जैसे ओस की दरकार में है कोई पल्लव होता।

रातें बीत जाती हैं सन्नाटे की सरगोशी में, के कोई तो होता जो बात की पहल करता।

काश! कोई तो होता जो सुनता मेरी भी बातें।।

पता है! बहुत आए और गए मेरी ज़िन्दगी को बेमतलब कर के,

जैसे किसी बाग़-ए-बहार को पतझर कर के।

अब तो सूख गए वो अश्क भी इस इन्तेज़ार में,

के कोई तो समेटने लाता उनको अपनी हाथें।

काश! कोई तो होता जो सुनता मेरी भी बातें।।

ना दोस्त होता तू , ना ही महबूब, ना मतलबी हमसफ़र कोई,

बस होता यूँ, जैसे ज़ालिम धूप में किसी की परछाई कोई।

के बढ़ता हर क़दम संग मेरी तू तक़दीर बनकर,

और जो जुदा हो भी मुझसे तू तो मुझी में खो कर।

काश! काश! के कोई तो होता जो सुनता मेरी भी बातें।।

नागरिकता संशोधन विधेयक(CAB) को लेकर क्यों छाती पीट रहे हैं कुछ लोग ?

एक पत्रकार हैं @Marya Shakil शायद मामलों को समझने की बेहतर नज़र रखती हैं, और इस मुद्दे को अच्छे से समझती होंगी। मगर! लगता है या तो इस मुद्दे को वो समझी नहीं हैं, जो की नामुमकिन है या फिर इस मुद्दे को उलझाए रखने मे उनकी रुचि ज्यादा है। उनका एक ट्वीट आया था बेहद बचकाना, असंवेदनशील और भड़काऊ जिस कारण मैं ये लेख लिख रहा हूँ, शायद वो समझ सकें। और केवल ये ही नहीं हैं इन जैसे न जाने कितने हैं।

मर्या

इनकी दूर दृष्टि कुछ ऐसा कहती है, और इनके लिखे पर अल्लामा इक़बाल की तराना-ए-हिन्दी से कुछ पंक्तियाँ हैं

मेरी तरफ से।

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा ।

ख़ैर छोड़िए इन्हें, चीज़ों को समझते हैं।

नागरिकता संशोधन विधेयक(CAB) क्या है?

ये विधेयक कहता है की पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों (जो की हिन्दू, ईसाई, सीख, जैन, बौद्ध तथा पारसी हैं) को भारत नागरिकता दे सकेगी।

ऐसा करना इस लिए भी जरूरी है क्योंकि अब तक ये किसी गिनती में नहीं आते और दूसरी बात की अल्पसंख्यक होने की वजह से इनपर बड़े अत्याचार होते रहे हैं इनके वर्तमान देश में, जिसके तमाम सबूत हैं। और इनमे से ज़्यादातर ऐसे अल्पसंख्यक की श्रेणी में आते हैं जिनकी पूरी विश्व में अल्पसंख्यक की छवि है जैसे की सीख, हिन्दू इत्यादि। विश्व में ये बहुसंख्यक के तौर पर नहीं हैं जैसे की मुस्लिम

जिस कारण उन्हें कई परेशानियों का प्रतारणाओं का सामना करना पड़ता है और करते आ रहे हैं इन्हें अपनाया जाना बहुत आवश्यक है। पाकिस्तान, बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों की दर में आज़ादी से लेकर अबतक 20-20 प्रतिशत की कटौती हुई है जिसका मतलब आप समझ सकते हैं। यही कारण उनमें से बहुतों को भाग कर भारत में शरण लेना पड़ा।

Country/Region Total Population Muslim Population Muslim percentage (%) of total population Percentage (%) of World Muslim population Sources
Afghanistan 34,940,837 34,836,014 99.6 1.8 [33]
Albania 3,057,220 1,797,645 58.8 0.1 [34][35]
Algeria 41,657,488 41,240,913 99 2.7 [36]
American Samoa 50,826 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [37]
Andorra 85,708 2,228 2.6 < 0.1 [38][39]
Angola 30,355,880 90,000 0.3 < 0.1 [40][41]
Anguilla 17,422 < 1,000 0.6 < 0.1 [42][43]
Antigua and Barbuda 95,882 < 1,000 0.3 < 0.1 [44]
Argentina 44,694,198 400,000 0.9 < 1 [45][41]
Armenia 3,038,217 3,038 0.1 < 0.1 [46][47]
Aruba 116,576 < 1,000 0.4 < 0.1 [48][49]
Australia 25,000,000 650,000 2.6 < 0.1 [50]
Austria 8,900,000 712,000 8 < 0.1 [51][52]
Azerbaijan 10,046,516 9,735,074 96.9 0.5 [53]
Bahamas 332,634 < 1,000 0.1 < 0.1 [54]
Bahrain 1,442,659 1,063,239 73.7 < 0.1 [55]
Bangladesh 170,000,000 153,700,000 90.4 9.2 [56][57]
Barbados 293,131 4,396 1.5 < 0.1 [58]
Belarus 9,527,543 45,000 – 100,000 0.5-1.0 < 0.1 [59][60][61]
Belgium 11,570,762 879,377 7.6 < 0.1 [62][63]
Belize 385,854 < 1,000 0.2 < 0.1 [64][65]
Benin 11,340,504 3,141,319 27.7 0.14 [66]
Bermuda 71,176 < 1,000 1 < 0.1 [67]
Bhutan 766,397 ≤ 2,000 0.2 < 0.1 [68][69]
Bolivia 11,306,341 2,000 < 0.1 < 0.1 [70][71]
Bosnia and Herzegovina 3,849,891 1,955,084 50.7 0.1 [72]
Botswana 2,249,104 8,996 0.4 < 0.1 [73][74]
Brazil 208,846,892 35,167 – 1,500,000 0.02 – 0.7 < 0.1 [75][76]
British Virgin Islands 35,802 < 1,000 1.2 < 0.1 [77]
Brunei 450,565 355,045 78.8 < 0.1 [78]
Bulgaria 7,057,504 861,015 13.4 < 0.1 [79][80]
Burkina Faso 19,742,715 12,141,769 61.5 0.6 [81]
Burma 55,622,506 2,391,767 4.3 0.1 [82]
Burundi 11,844,520 1,184,452 10 < 0.1 [83][84]
Cambodia 16,449,519 312,5401 1.9 < 0.1 [85]
Cameroon 25,640,965 7,692,289 30 0.4 [86][87]
Canada 35,881,659 1,148,213 3.2 0.1 [88]
Cape Verde 568,373 11,367 2 < 0.1 [89][90]
Cayman Islands 59,613 < 1,000 0.2 < 0.1 [91]
Central African Republic 5,745,062 861,759 15 < 0.1 [92]
Chad 15,833,116 9,183,207 58 0.4 [93][90]
Chile 17,925,262 4,000 < 0.1 < 0.1 [94][95]
China 1,390,000,000 6,255,000 – 50,000,000 0.45 – 3 0.4 – 2.8 [96][97][98][99][100]
Cocos (Keeling) Islands 596 < 1,000 80 < 0.1 [101][102]
Colombia 48,168,996 96,337 0.2 < 0.1 [103][104]
Comoros 821,164 807,204 98.3 < 0.1 [105]
DR Congo 85,281,024 12,792,153 10 0.1 [106][107]
Cook Islands 9,038 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [108]
Costa Rica 4,987,142 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [109]
Ivory Coast 26,260,582 11,265,789 42.9 0.5 [110]
Croatia 4,270,480 64,057 1.5 < 0.1 [111]
Cuba 11,116,396 11,116 0.1 < 0.1 [112]
Cyprus 1,237,088 350,000 28.2 < 0.1 [113][114]
Czech Republic 10,686,269 10,000 – 20,000 0.1 – 0.2 < 0.1 [115][63]
Denmark 5,809,502 313,713 5.4 < 0.1 [116][63]
Djibouti 884,017 857,496 97 0.1 [117][118]
Dominica 74,027 < 1,000 0.2 < 0.1 [119]
Dominican Republic 10,298,756 2,000 < 0.1 < 0.1 [120][121]
Ecuador 16,498,502 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [122][123]
Egypt 95,000,000 85,000,000 – 90,000,000 90-94.7 4.9 [124][125]
El Salvador 6,187,271 2,000 < 0.1 < 0.1 [126][127]
Equatorial Guinea 797,457 79,745 10 < 0.1 [128][129]
Eritrea 6,000,000 2,160,000 – 3,100,000 36–51.6 0.1 [130][131][132]
Estonia 1,244,288 1,508 < 0.1 < 0.1 [133]
Ethiopia 105,000,000 35,600,000 33.9 1.8 [134]
Faroe Islands 51,018 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [135]
Falkland Islands 3,198 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [136]
F.S. Micronesia 103,643 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [137]
Fiji 926,276 58,355 6.3 < 0.1 [138]
Finland 5,537,364 102,000 1.8 < 0.1 [139][63]
France 67,000,000 5,720,000 8.8 0.3 [63]
French Guiana 281,612 2,400 0.9 < 0.1
French Polynesia 290,373 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [140]
Gabon 2,119,036 211,903 10 < 0.1 [141][142]
Gambia 2,092,731 2,002,743 95.7 0.1 [143]
Georgia 4,926,087 527,091 10.7 < 0.1 [144]
Germany 83,000,000 4,500,000 – 5,000,000 5.4 – 6 0.2 [32][145]
Ghana 28,102,471 5,058,444 17.6 0.2 [146][90] [147]
Gibraltar 29,461 1,150 4 < 0.1 [148][149]
Greece 10,761,523 215,230 – 613,406 2 – 5.7 < 0.1 [150][63]
Greenland 57,691 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [151]
Grenada 112,207 < 1,000 0.3 < 0.1 [152]
Guadeloupe 402,119 2,000 0.4 < 0.1
Guam 167,772 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [153]
Guatemala 16,581,273 1,200 < 0.1 < 0.1 [154][155]
Guinea 11,855,411 10,563,171 89.1 0.5 [156]
Guinea-Bissau 1,833,247 826,794 45.1 < 0.1 [157]
Guyana 740,685 55,000 7.3 < 0.1 [158]
Haiti 10,788,440 5,000 < 0.1 < 0.1 [159][160]
Honduras 9,182,766 30,000 0.3 < 0.1 [161][162]
Hong Kong 7,213,338 295,746 4.1 < 0.1 [163][164]
Hungary 9,825,704 40,000 – 60,000 0.4 – 0.6 < 0.1 [63][165][166]
Iceland 343,518 < 1,000 0.2 < 0.1 [167][168]
India 1,370,000,000 195,000,000 14.2 10.9 [169]
Indonesia 263,000,000 229,000,000 87.2 12.7 [170]
Iran 83,000,000 82,500,000 99.4 4.6 [171]
Iraq 40,194,216 38,465,864 95.7 1.9 [172][173]
Ireland 5,068,050 70,952 1.4 < 0.1 [174][63]
Isle of Man 89,407 < 1,000 0.2 < 0.1 [175]
Israel 8,424,904 1,516,482 18 0.1 [176][177]
Italy 62,246,674 2,987,840 4.8 0.1 [178][63]
Jamaica 2,812,090 5,624 0.2 < 0.1 [179][180]
Japan 126,168,156 185,000 0.1 < 0.1 [181][182]
Jordan 10,458,413 10,165,577 97.2 0.4 [183]
Kazakhstan 18,744,548 13,158,672 70.2 0.5 [184]
Kenya 48,397,527 5,500,000 11.2 0.2 [185]
Kiribati 109,367 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [186]
Kosovo 1,907,592 1,823,657 95.6 0.1 [187]
Kuwait 2,916,467 2,175,684 74.6 0.2 [188]
Kyrgyzstan 5,849,296 4,679,436 80 0.3 [189][190]
Laos 7,234,171 1,000 < 0.1 < 0.1 [191][192]
Latvia 1,923,559 2,000 0.1-0.2 < 0.1 [193][194]
Lebanon 6,100,075 3,519,743 57.7 0.2 [195]
Lesotho 1,962,461 3,000 0.1 < 0.1 [196]
Liberia 4,809,768 961,953 20 < 0.1 [197][198]
Libya 6,754,507 6,551,871 97 0.4 [199][200]
Liechtenstein 38,000 2,050 5.4 < 0.1 [201]
Lithuania 2,793,284 3,000 0.1 < 0.1 [202][203]
Luxembourg 605,764 18,172 3 < 0.1 [204][205]
Macau 606,340 < 1,000 0.1 < 0.1 [206][207]
Madagascar 25,683,610 2,568,361 10 < 0.1 [208][209]
Malawi 19,842,560 3,968,512 20 0.1 [210][211]
Malaysia 31,809,660 16,318,355 61.3 1.1 [212]
Maldives 374,775 374,775 100 < 0.1 [213]
Mali 18,429,893 17,508,398 95 0.8 [214][90]
Malta 449,043 11,675 2.6 < 0.1 [215][216]
Marshall Islands 75,684 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [217]
Martinique 385,551 < 1,000 0.2 < 0.1
Mauritania 3,840,429 3,840,429 100 0.2 [218]
Mauritius 1,364,283 236,020 17.3 < 0.1 [219]
Mayotte 256,518 253,439 97 < 0.1 [220]
Mexico 131,959,205 5,500 0.01 < 0.01 [221][222]
Moldova 3,437,720 15,000 0.4 < 0.1 [223][224]
Monaco 30,727 < 1,000 0.8 < 0.1 [225][226]
Mongolia 3,103,428 150,000 5 < 0.1 [227][228]
Montenegro 614,249 122,849 19.1 < 0.1 [229]
Montserrat 5,315 < 1,000 0.1 < 0.1 [230]
Morocco 38,314,130 37,930,989 99 2 [231]
Mozambique 27,233,789 3,830,063 17.9 0.3 [232][233]
Namibia 2,413,643 9,654 0.4 < 0.1
Nauru 10,084 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Nepal 29,218,867 1,292,909 4.2 0.1 [234]
Netherlands 17,254,300 880,000 5.1 0.1 [235]
Netherlands Antilles 304,759 < 1,000 0.2 < 0.1
New Caledonia 278,500 7,000 2.8 < 0.1
New Zealand 4,903,800 41,000 0.9 < 0.1
Nicaragua 6,284,757 1,000 < 0.1 < 0.1
Niger 21,466,863 21,101,926 98.3 1 [236]
Nigeria 200,000,000 95,000,000 – 103,000,000 47.6-51.6 5.3 [32][237]
Niue 1,611 < 1,000 < 0.1 < 0.1
North Korea 25,610,672 3,000 0.1 < 0.1
North Macedonia 2,118,945 705,608 33.3 < 0.1 [238]
Northern Mariana Islands 56,200 < 1,000 0.7 < 0.1
Norway 5,312,343 100,000 – 185,000 5.7 < 0.1 [63]
Oman 4,633,752 2,427,000 85.9 0.2 [239]
Pakistan 207,774,520 200,400,000 96.5 11.1 [240][241]
Palau 17,900 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Palestine 4,780,978 4,298,000 97.5 0.3
Panama 4,158,783 25,000 0.7 < 0.1
Papua New Guinea 8,558,800 2,000 < 0.1 < 0.1
Paraguay 7,052,983 1,000 < 0.1 < 0.1
Peru 31,237,385 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Philippines 106,463,000 5,127,084 – 10,700,000 5 – 11 0.3 – 0.6 [242][243]
Poland 38,430,000 6,796 0.02 < 0.1 [244]
Portugal 10,291,027 65,000 0.4 < 0.1
Puerto Rico 3,337,177 1,000 < 0.1 < 0.1
Qatar 2,450,285 1,566,786 77.5 0.1 [245]
Congo 5,399,895 107,997 2 < 0.1 [246]
Réunion 865,826 36,364 4.2 < 0.1 [247]
Romania 19,524,000 73,000 – 200,000 0.3-1.0 < 0.1 [248]
Russia 146,877,088 15,000,000 – 25,000,000 10 – 17 1 [249][250][251]
Rwanda 12,001,136 576,054 4.8 < 0.1 [252]
Saint Helena 4,534 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Saint Kitts and Nevis 46,204 < 1,000 0.3 < 0.1
Saint Lucia 178,844 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Saint Pierre and Miquelon 6,286 < 1,000 0.2 < 0.1
Saint Vincent and the Grenadines 109,557 2,000 1.7 < 0.1
Samoa 199,052 < 1,000 < 0.1 < 0.1
San Marino 33,344 < 1,000 < 0.1 < 0.1
São Tomé and Príncipe 199,910 5,931 3 < 0.1 [253]
Saudi Arabia 33,413,660 31,878,000 97.1 1.6
Senegal 15,726,037 15,112,721 96.1 0.8 [254]
Serbia 7,001,444 221,460 3.1 < 0.1 [255]
Seychelles 94,205 1,036 1.1 < 0.1 [256]
Sierra Leone 7,719,729 6,067,706 78.6 0.3 [257]
Singapore 5,612,253 721,000 – 842,116 14.7 < 0.1 [258][259]
Slovakia 5,443,120 10,866 0.1-0.2 < 0.1 [63]
Slovenia 2,066,880 73,568 3.6 < 0.1 [63]
Solomon Islands 667,044 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Somalia 11,000,000 10,978,000 99.8 0.6 [260]
South Africa 57,725,600 1,050,000 1.9 < 0.1 [261][262]
South Korea 51,635,256 35,000 0.1 < 0.1
South Sudan 12,323,419 2,464,683 20 < 0.1 [263]
Spain 46,659,302 1,180,000 2.6 0.1 [63]
Sri Lanka 21,700,000 2,105,000 9.7 0.1 [264]
Sudan 40,825,770 39,585,777 97 1.9 [265]
Suriname 600,000 83,400 13.9 < 0.1 .[266]
Swaziland 1,159,250 129,230 10 < 0.1 [267]
Sweden 10,182,291 800,000 8.1 < 0.1 [32][63]
Switzerland 8,492,956 440,000 5.2 < 0.1 [268]
Syria 18,000,000 16,700,000 93 1 [269]
Republic of China 23,576,705 60,000 0.3 < 0.1 [270][271]
Tajikistan 8,931,000 7,621,700 96.7 0.4 [272][273][274]
Tanzania 54,199,163 19,426,814 35.2 0.8 [275]
Thailand 70,000,000 3,000,000 4.3 0.2 [276]
East Timor 1,261,407 1,000 0.1 < 0.1
Togo 7,352,000 1,593,011 20 0.1 [277]
Tokelau 1,499 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Tonga 100,651 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Trinidad and Tobago 1,356,633 78,000 5.8 < 0.1
Tunisia 11,446,300 11,190,000 99.8 0.6
Turkey 80,810,525 79,000,000 – 80,700,000 98.6 – 99.8 4.6 [278][279]
Turkmenistan 5,851,466 4,830,000 93.3 0.3
Turks and Caicos Islands 37,910 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Tuvalu 10,640 < 1,000 0.1 < 0.1
Uganda 38,823,100 5,435,234 14 0.3 [280]
Ukraine 42,263,873 390,000 – 1,000,000 0.9 – 2.5 < 0.1 [281][282]
United Arab Emirates 9,541,615 4,615,081 76 0.2 [283][284]
United Kingdom 66,040,229 4,130,000 6.3 0.2 [63]
United States 327,827,000 3,450,000 1.1 0.2 [285]
U.S. Virgin Islands 104,914 < 1,000 0.1 < 0.1
Uruguay 3,505,985 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Uzbekistan 32,653,900 26,550,000 96.5 1.7 [269]
Vanuatu 304,500 < 1,000 < 0.1 < 0.1
Vatican City 800 0 0 0
Venezuela 31,304,016 125,216 0.4 < 0.1 [286]
Vietnam 96,160,163 96,160 0.1 < 0.1 [287][287]
Wallis and Futuna 15,714 < 1,000 < 0.1 < 0.1 [288]
Western Sahara 603,253 599,633 99.4 < 0.1 [289][290]
Yemen 28,036,829 27,784,498 99.1 1.5 [291][292]
Zambia 16,887,720 168,877 1 < 0.1 [90]
Zimbabwe 14,000,000 100,000 0.7 < 0.1 [293]
सौजन्य- विकिपीडिया
Region Muslims Muslim percentage (%) of total population Percentage (%) of World Muslim population
Asia 1,200,000,000 24.3 66.7
Central Asia 54,000,000[294] 81[295] 3.0
South Asia 600,000,000[296][297] 31.4[298][299] 30.6[10][300]
Southeast Asia 240,000,000[301] 40 13.3
East Asia 50,000,000[100] 3.1 2.8
Middle EastNorth Africa 315,322,000[14]488,603,838 91.2 27.1
Africa 550,000,000 47 30.6
Sub-Saharan Africa 283,302,393 29.6 15.7
North America 3,500,0007,000,000[302] 1.0[303] 0.4
South America 791,000 0.2 0.04
Europe 44,138,000 6.0 2.7
Oceania 650,000 1.6 0.04
World 1,800,000,000[1] 24.1 100
सौजन्य- विकिपीडिया

यह तमाम आंकड़े आपको बता पाने में सक्षम है कि भारत में रहने वाले अल्पसंख्यक यानी मुस्लिम पूरे विश्व में किन किन देशों में बहुसंख्यक हैं और कौन-कौन से देश मुस्लिम देशों में आते हैं। और वहां पर यह बिना किसी रूकावट के, बिना किसी विरोध के, बिना किसी प्रताड़ना के अपना जीवन यापन कर रहे हैं। जिसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी शामिल है। इस कारण मुस्लिमों को लेने का कोई मतलब ही नहीं बनता।

विधेयक से जुड़ा भ्रम, डर और अफवाह।

इस विधेयक को लेकर बहुत सारी अफवाहें फैलाई जा रही हैं। जैसे की- इससे भारत मे रह रहे अल्पसंकयक यानि मुस्लिमों को भारी खतरा है, उन्हें देश से निकालने की साजिश है, हिन्दू-राष्ट्र बनाने की पूरी तैयारी है वगैरह-वगैरह।

इन अफवाहों को फैलाने में कोई आतंकवादी संगठन नहीं लगी हैं बल्कि इसकी ज़िम्मेदारी कुछ पत्रकारों ने ले रखी हैं जो वरिष्ठ और अनुभवी दोनों हैं। कोई कुमार, तो कोई ख़ानम, तो कोई शर्मा और न जाने कितने। सभी अपने अपने हिसाब से सुलगाने में लगे हैं, अपना और पत्रकारिता दोनों का हीं स्तर गिरा लिया है। हाँ अवार्ड्स खूब बटोरे हैं और देश की दलाली में लगे हैं। ये वही लोग हैं जो कुछ समय पहले तक भारत को असहिष्णु देश बताते हुए नहीं थकते थे, इनके हिसाब से मुस्लिम असुरक्षित थे यहाँ।

इस विधेयक में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे भारत के अल्पसंख्यक यानी मुस्लिमों को किसी भी किस्म का ख़तरा हो बल्कि इसमें उन से जुड़ा कोई भी जिक्र तक किया नहीं गया है, और ऐसा इसलिए भी है कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के लिए है जो बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हैं जिन पर अनेकों तरह की धार्मिक और अन्य प्रताड़ना होती आ रही हैं। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि भारत अन्य मुस्लिमों को क्यों नहीं ले रहा है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि मुस्लिम इन देशों में बहुसंख्यक के तौर पर हैं और अपने धर्म को बिना किसी रूकावट के अपनाए हुए हैं, तो उन्हें भारत में लेने का कोई मतलब ही नहीं बनता और यह विधायक केवल वहां रहने वाले प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए हीं है। और भारत देश में रह रहे अल्पसंख्यक यानी मुस्लिमों से इस विधेयक का कोई लेना देना नहीं है, वह जैसे इस देश में पहले से रहते आ रहे थे वैसे ही रहते रहेंगे उन्हें इस विधेयक को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। यहां पर अल्पसंख्यक होते हुए भी वह पूर्ण तरह सुरक्षित हैं और अपने धर्म को बिना किसी रोक-टोक के अपनाए हुए हैं। इतना सब कुछ बताने के बावजूद अगर किसी के मन में किसी भी किस्म का भ्रम हो तो नीचे में मैं एक लिंक डाल रहा हूं, जिसमें माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी द्वारा राज्यसभा में इस विधेयक पर दिया गया भाषण है जिसे आप सुनकर अपने सारे भ्रमों को दूर कर पाएंगे। और यह आग्रह है आपसे कि राज्यसभा या लोकसभा में होने वाले भाषणों पर दलीलों पर नज़र जरूर दिया करें, यह नेता वहां पर डांडिया खेलने नहीं जाते बल्कि हमारे और आपसे जुड़े विषयों पर चिंतन करने जाते हैं, जिसे हम सुनकर स्वयं एक सटीक निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं और लोगों द्वारा फैलाए गए अफवाहों से बच सकते हैं।

नागरिकता संशोधन विधेयक

सौजन्य- बीजेपी यूट्यूब चैनल एवं आर एस टीवी

इस वीडियो का लिंक मैंने जहां से लिया है इसका पता चलने के बाद बहुत से लोग मुझे गालियां देने वाले हैं, भक्त या अंधभक्त कहकर संबोधित करने वाले हैं। तो कोई नहीं वे पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं, कुछ भी कह सकते हैं। मगर मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मेरा किसी भी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है, मैं अपने देश के हित को सोच कर चलता हूँ और उसी के हित में लिखता हूँ। यह लिंक मैं चुकी इसीलिए डाल रहा हूं क्योंकि इसी इसी चैनल पर मुझे यह वीडियो मिला, बाकी लोग तो बड़े इंटेलेक्चुअल हैं कुछ भी समझ सकते हैं।

देश के लिए

मैं कोई बहुत बड़ा लेखक या पत्रकार तो नहीं हूँ, मैं भी आम आदमी हूँ और आम आदमियों के तरह चीजों से परेशान होकर कुछ लिख भी लेता हूँ। तो मैं आपसे यही कहूँगा कि भड़काने में बहुत लगे हैं उनके बहकावे में न आएँ अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करें। यह भारत देश है जिसका द्वार सभी लोगों के लिए समान रूप से खुला रहता है, सबका समान रूप से सम्मान करता है। तो कभी ऐसा ना सोचे कि भारत आपको अपनाएगा नहीं। जो भारत में एक बार आता है, भारत उसे हमेशा के लिए अपना लेता है। और बाकी बात रही इन जैसे अफवाह फैलाने वालों की तो यह आते रहते हैं और जाने में इन्हें समय भी नहीं लगता।……धन्यवाद

हाँ हूँ मैं हिन्दू…

WhatsApp Image 2019-11-18 at 3.21.31 PM

मैं अपनी इस कविता के ज़रिए किसी धर्म विशेष की बड़ाई या बुराई करने की तनिक भी इच्छा नहीं रखता हूँ, ना, बिल्कुल भी नहीं। इसके लिखने के पीछे का कारण काफी समय से चले आ रहे धर्मों से जबरन जोड़ दिया गया एक शब्द कट्टर है, पता नहीं ये कब और कैसे जुड़ा मग़र इसके जुड़ने के बाद इसने धर्मों की आत्माओं को हिंसक रूप में बदल कर रख दिया है । ये शब्द किसी भी परिस्थिति में किसी धर्म के साथ नहीं जाता ऐसा मेरा मानना है, धर्म चाहे कोई भी हो सदैव मानवता, सौम्यता, सद्भाव और दूसरे रक्षा और हित की बात करता है। और जो लोग इस बात से सहमत नहीं हैं तो मेरे विचार में वो किसी धर्म के लायक नही हैं बल्कि इंसान भी नही हैं। तो ये मेरी ये कविता किसी धर्म विशेष लिए नहीं है बल्कि सभी धर्मों के लिए है जिससे कट्टरपंथ जैसा शब्द जबरन जोंक की तरह चिपक गया है, मग़र सभी लोग मानसिक रूप से समान्य नहीं होते तो उन्हें समझाया नही जा सकता है, तो उन्होंने अगर ठान रखा है तो हूँ मैं कट्टर। मेरी इस कविता को आप पढें और इससे जुड़े अपने बहुमूल्य विचारों को जरूर साझा करें।

 

हाँ हूँ मैं हिंदू …

हाँ हूँ मैं हिंदू या फिर आपकी कहें तो कट्टर

हूँ तभी तो दूसरों के सुख-दुख को अपनाना जानता हूँ, सजदे भी करता हूँ, अरदासे भी लगाता हूँ, और प्रार्थनाओं में मोमबत्तियां भी जलाता हूँ।

मैं जानता हूँ किसी के लिए उसके सम्मान से बढ़कर कुछ भी नहीं, तभी तो हर की भावनाओं की कद्र करता हूँ, सबके लिए सद्भाव रखता हूँ।

दूसरों पर होते अत्याचार को देख व्यथित भी हो जाता हूँ तो उनके न्याय और सम्मान की लिए लड़ भी जाता हूँ।

मैं बुद्ध को मानता हूँ , शांति की राह पर चलता हूँ, सबके लिए दिल में प्यार रखता हूँ।

मगर! फिर अचानक हीं बेमतलब दूसरों की नजर में बुरा बन जाता हूँ, जब मैं अपनी धरती को माँ का दर्जा देता हूँ।

अच्छा! माँ तो वही होती है ना, जो अपने संतानों का निःस्वार्थ भाव से भरण पोषण करती है, उनकी हर एक जरूरतों का ख्याल रखती है, अपने गोद के पालने में, आंचल की छांव में बड़ा करती है। खुद को निचोड़ डालती है उनके सुख के लिए।

है न!

यही तो धरती है, तो फिर क्या गलत करता हूँ अगर मैं इसे माँ का दर्जा देता हूँ।

मैं बुरा बन जाता हूँ जब इसकी स्वतंत्रता और प्रभुता की ख़ातिर लड़ जाता हूँ, मर जाता हूँ। संसार में ऐसा कोई नहीं जो अपनी माँ के सम्मान को लूटा गौरवान्वित हो, तो आखिर क्या गलत करता हूँ मैं।
हाँ हूँ मैं हिंदू …

हाँ हूँ मैं हिंदू या फिर आपकी कहे तो कट्टर पर, कायर नहीं।
हाँ मैं राम के नारे लगाता हूँ, महादेव को जपता हूँ, कृष्ण को भी मानता हूँ, हाँ मैं इनके “अहिंसा परमो धर्मः” को जानता हूँ, तो “धर्म हिंसा तथैव” च पूरा कर इसे मानता भी हूँ।

मैं सिर्फ जन्म से नहीं, कर्म से हिंदू कहलाता हूँ।
हाँ हूँ मैं हिंदू

हाँ हूँ मैं हिंदू या फिर आपकी कहे तो कट्टर पर, कायर नहीं।

मैं मातृभूमि को समर्पित हो जनता हूँ, इसके हर एक कण को जीता हूँ। खुद में सहनशीलता और संयम बराबर रखता हूं, सब को अपनाने की कोशिश में इसके दायरे अनंत को बढ़ाता जाता हूँ।
माँ की आंचल को तार-तार करने की भावना लिए बढ़ते और नापाक हाथों को भी बड़ा सहिष्णु होकर देखता हूँ , इस आस में कि कभी तो रुकेगा वह, मगर उस पवित्र आंचल को उसके छूने से पहले उन्हें उखाड़ने में भी संकोच नहीं करता।

मैं गर्व से कहता हूं मैं हिंदू हूँ, या फिर आपकी कहे तो कट्टर पर, कायर नहीं।

मैं हिंदू हूँ, मैं सनातन हूँ, हर बार इन्हीं भावनाओं को लेकर जन्मता रहूंगा, समर्पण की भावना रखता हूँ खुद को मां भारती पर समर्पित करता रहूंगा॥

 

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कृष्ण और जन्माष्टमी

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌ ॥

हे भारत ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं प्रकट होता हूँ ॥

भगवान श्री कृष्ण ने अपनी उत्पत्ति को स्वयं के शब्दों में कुछ यूँ समझाया है।

जन्माष्टमी केवल भगवान के अवतरण का महोत्सव नहीं है, त्यौहार मात्र नहीं है। जन्माष्टमी अन्धकार के युग का सर्वनाश और प्रकाश के युग के प्रारम्भ को दर्शाता है। कृष्ण बहुआयामी हैं। कृष्ण मिटटी भी खाते हैं, कृष्ण बांसुरी भी बजाते हैं, कृष्ण कभी गोवर्धन उठाते हैं, कभी कृष्ण उपदेश भी देते हैं तो कभी कृष्ण सुदर्शन भी धारण करतें हैं। कृष्ण स्वयं में एक युग हैं, ज्ञान का सागर हैं।

कृष्ण कभी यशोदा नंदन हैं, कभी सुदामा के सखा ,द्रौपदी के रक्षक, तो कभी राधा का पावन प्रेम , सब कुछ है कृष्ण में या ये कहना सही होगा सब कुछ कृष्ण से हीं है।

जन्माष्टमी का पर्व हिन्दू धर्म का खास पर्व है, इस दिन भगवान विष्णु अपने आठवें अवतारकृष्णके रूप में अवतरित हुए थे। माँ यशोदा के कोंख से कारागृह में कंस वध को संकल्पित होकर उन्होंने जन्म लिया था और वध उपरांत मथुरा नगरी का उद्धार किया था।

जन्माष्टमी के पावन पर्व पर लोग पूरे दिन व्रत रखते हैं और कान्हा जी का जन्मदिन मनाते हैं। सभी मंदिरों में इस दिन 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म करते हैं , इस दिन घरों में तरहतरह के पंचामृत, पंजीरी, पाग, सिठौरा समेत कई पकवानों का भोग श्री कृष्ण को लगाया जाता है। भारत में हिन्दू धर्म के लोग अपनीअपनी रीतिरिवाज से जन्माष्टमी को मनाते हैं। इस दिन मंदिरों में सुंदर झांकियां भी सजती है जिन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ती हैं यही नहीं लोग अपने बालगोपालों को भगवान श्री कृष्ण के वेष में सजाते हैं।

कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। बाद में महाभारत में नायक बन पांडवों की रक्षा की और मार्ग भी दिखाया।

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